Indian diaspora's contribution to Hindi literarure in Mauritius


Author Name

Prakash Chand Bairwa

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Keywords

Old Diaspora, Indenture Labour, Mauritius, Diaspora Literature, Hindi

Abstract

मॉरिशस हिन्द महासागर में मेडागास्कर से पूर्व में लगभग 800 कि.मी. दूर स्थित एक द्वीपीय देश है। इसकी राजधानी उत्तर-पश्चिम समुद्र-तट पर स्थित पोर्टलुई नामक शहर है। हिन्द महासागर का लघु-द्वीप मॉरिशस लगभग चार सौ वर्षों से आबाद है। मॉरिशस नामक इस छोटे से द्वीप का पता सबसे पहले अरब नाविकों को सोलहवीं शताब्दी में यात्राओं के दौरान लगा था।

1715 ई. में जब फ्रांसीसी मॉरिशस पहुचें तो उन्होंने कृषि कार्य के लिए मेडागास्कर से दास बुलवाए। परन्तु ये कृषि कार्य के लिए ठीक नहीं थे जिस कारण भारत से दासों को बुलवाया गया, जो कारगर सिद्ध हुए। 1810 ई. में मॉरिशस पर ब्रिटिश शासकों ने कब्ज़ा कर लिया तथा यहाँ उन्होंने व्यापार के नए रास्ते खोले। मॉरिशस में जो दास प्रथा आरंभ से ही चल रही थी उसे 1834 ई. में बंद कर दिया गया। दास प्रथा पूर्णतया ख़त्म होने के बाद साम्राज्यवादी शक्तियों के सामने मजदूरों की कमी आने लगी। इसी समस्या के कारण अनुबंधिक मजदूर प्रथा का जन्म हुआ। मजदूरों की पूर्ति के लिए भारत से एग्रीमेंट के तहत मजदूरों को मॉरिशस भेजा गया। जिन्हें बाद में गिरमिटिया मजदूर कहा गया। अनुबंधित होते हुए भी इन मजदूरों की स्थिति वहीँ थी जो दास प्रथा के दौरान किसी मजदूर की हुआ करती थी। जो मजदूर इस अनुबंधिक मजदूर प्रथा से मॉरिशस पहुचें वो हमेशा के लिए वहीँ के होकर रह गये। ये लोग मॉरिशस में बस अवश्य गए किन्तु इन्होनें अपनी संस्कृति और सभ्यता को कभी नहीं भुलाया। अतः मॉरिशस में आज हम स्पष्ट रूप से भारतीय संस्कृति और सभ्यता को देख सकते हैं।

मॉरिशस में जो भारतीय गिरमिटिया मजदुर गए उन्होंने हमेशा अपनी भाषा और संस्कृति को संजोये रखा। वर्तमान में इन्हीं गिरमिटिया मजदूरों की भावी पीढ़ी भी हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति को उसी रूप में संजोयें रखने में सफल रही है। मॉरिशसीय हिंदी बहुभाषा-भाषी व विविध संस्कृतियों के समागम के कारण विश्व साहित्य की नवीन प्रवृत्तियों एवं परिवर्तनों की गूंज उनके लेखन में प्रतिध्वनित होती हैं। प्रो. वासुदेव विष्णुदयाल, सोमदत्त बखोरी, अभिमन्यु अनत, दीपचंद बिहारी, रामदेव धुरंधर व प्रह्लाद रामशरण आदि की रचनाओं में इसके स्पष्ट संकेत मिलते हैं। अतः मॉरिशसीय हिंदी साहित्य विश्व हिंदी को पूर्णता प्रदान करता है।

प्रस्तुत लेख में मॉरिशस में प्रवासी भारतीयों द्वारा लिखे गए हिंदी साहित्य पर चर्चा करते हुए हिंदी साहित्य में उसका क्या योगदान रहा है, उसे स्पष्ट करने का प्रयास किया जाएगा।


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International Conference on "Global Migration: Rethinking Skills, Knowledge and Culture"
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