Hindi- Impact of International Migration and Socio-Economic Flow on Domestic Entrepreneurship
Author Name
Pradnya Raul
Author Address
M G H U Wardha
Keywords
International Migration, Entrepreneurship, Socio-Economic Flow
Abstract
दुनिया भर में प्रवासन और पलायन का इतिहास बहुत पुराना है। जनसंख्या के प्रवासन के पीछे महत्वपूर्ण तथ्य यह है, कि प्रवासन विविध सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारणों से होता है। अब तक प्रवासन को विविध चरणों में देखा गया है, ऐतिहासिक चरण में सिंधु घाटी सभ्यता, बौद्ध काल और मौर्योत्तर काल में भी प्रवासन को देखा गया है। उसके पश्चात औपनिवेशिक काल में बड़ी संख्या में भी प्रवासन हुआ था। इसके अंतर्गत सिद्ध दोष प्रवासन, अनुबंधित श्रमिक प्रवासन, कंगनी मैस्त्री इत्यादि के अंतर्गत प्रवासन को देखा जा सकता है। आज आधुनिक काल में भारत से बड़ी संख्या में प्रवासन विकसित देशों की तरफ हो रहा है। उसके साथ-साथ आज 90 प्रतिशत से अधिक कामगार खाड़ी देशों में और दक्षिण पूर्व एशिया में रोजगार के लिए प्रवासित हुए हैं।
विश्व बैंक से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार सन् 1990 में 155.5 मिलियन जनसंख्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रवासित हुई थी, जो की विश्व की कुल जनसंख्या का 2.9 प्रतिशत था। दस वर्षों के पश्चात विश्व स्तर पर होने वाले अंतरराष्ट्रीय प्रवासन में वृद्धि देखी गयी। सन् 2000 में अंतरराष्ट्रीय प्रवासित व्यक्तियों की संख्या बढ़कर 178.5 मिलियन हो गयी थी, उसके पश्यात सन् 2010 में इसमें और भी वृद्धि हुई है, 2010 में यह संख्या 213.9 मिलियन हो गयी। इससे यह ज्ञात होता है कि सन् 1990 से लेकर सन् 2010 तक विश्वस्तर पर प्रवासन बढ़ा है। जैसे-जैसे प्रवासन में वृद्धि हुई है वैसे-वैसे सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक उत्प्रवाह में भी वृद्धि हुई है जो राष्ट्र के विकास में मददगार सिद्ध हुई हैं। व्यक्ति प्रवासन के पश्यात अपने मूल राष्ट्र में केवल आर्थिक उत्प्रवाह ही प्रवाहीत नहीं करते बल्कि उसके साथ ही नए विचार, व्यवहार, जीवनशैली को भी अपनाते हैं और यह सब अपने दोस्त, नातेदार एवं अपने गंतव्य राष्ट्र में हस्तांतरित करते है। आम तौर पर प्रवासन अधिकतर आर्थिक कारणों से एवं रोजगार के उद्देश्य से होते है। अंतरराष्ट्रीय प्रवासन आर्थिक-सामाजिक उत्प्रवाह में वृद्धि कर गरीबी घटाकर विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्योंकि किसी भी राष्ट्र का विकास उस राष्ट्र की सामाजिक और आर्थिक उत्तप्रवाह के कारण होता है। इसीमें बेजोड़ वैश्विक सुशासन निर्माण करने की संकल्पना निहित है।
प्रस्तुत शोध कार्य भारत के महाराष्ट्र से नागपुर, चंद्रपुर, जलगाँव, मुंबई एवं वर्धा इन जिलों से स्नोबोल नमूना पद्धति से नमूनों को एकत्रित करके यह शोध किया गया जिसमें महाराष्ट्र से हो रहे अंतरराष्ट्रीय प्रवासन की सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि क्या थी? प्रवासन रोजगार के कारण हुआ, शिक्षा के कारण से, या अधिक आर्थिक प्राप्ति के कारण? इनमें रिक्रूटमेंट एजंसी की भूमिका किस प्रकार की थी? प्रवासन के विकास और परिवार से जुड़ाव इत्यादि बिंदुओं पर शोध किया गया।
प्रस्तुत पत्र में अंतरराष्ट्रिय प्रवासन, सामाजिक-आर्थिक उत्प्रवाह तथा उनका घरेलू समूहों पर किस प्रकार और कितना प्रभाव पड़ा है तथा विकास में इनकी भूमिका, मौजुदा तरीके, अंतरराष्ट्रीय समझ और प्राप्त निष्कर्ष और विकास में उसकी भूमिका को प्रस्तुत किया हैं।
Conference
International Conference on "Global Migration: Rethinking Skills, Knowledge and Culture"