Covid _19, Health and Migration, women's Health, worker's health and Migration
Author Name
Fatma Khatoon
Keywords
COVID-19, Health, Migration
Abstract
भारत में covid 19 का मुकाबला करने के प्रयासों के तहत 24 मार्च को घोषित 21 दिन के लॉकडाउन ने प्रवासी मजदूरों, दैनिक वेतनभोगी श्रमिकों की और ग्रामीण महिलाओं की समस्याएं बढ़ा दी। लंबे समय तक तालाबंदी रहने की आशंका में बड़ी संख्या में सभी मजदूर और उनके परिवार अपने अपने गांव व स्थानों को वापस लौट पड़े। कर्फ्यू की स्थिति होने के बावजूद हज़ारों प्रवासी मजदूर सड़को पर आ गए और पैदल ही अपने स्थानों के लिए चल पड़े जिनमें केवल मजदूर ही नहीं बल्कि महिलाएं, बच्चे और ऐसे हज़ारों लोग इस स्थिति के शिकार हुए। covid 19 के इस प्रकोप में गरीब महिलाओं के स्वास्थ्य पर सबसे बुरा प्रभाव पड़ा। जहाँ महिलाए पहले से ही अपने प्रत्येक दिन की कार्यों से परेशान रहती थी वही उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं था। University of Manchester के Global Development Institude की प्रोफेसर बीना अग्रवाल ने अपने शोध के माध्यम से पाया कि covid 19 लॉकडाउन के दौरान पुरुषों की तुलना में महिलाओं को नौकरियों का अधिक नुकसान हुआ। उनकी लॉकडाउन के बाद रिकवरी भी बहुत कम रही। यदि हम कोरोनाकाल में हो रहे घटनाओं को देखे तो हमें यही मालूम होता है कि उस समय सबसे ज्यादा असंख्य मजदूर और उनके परिवारों को बहुत अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। यही स्थिति शायद आज भी हमारे देश में बनी हुई है चाहे कोई संक्रामक बीमारी का प्रकोप हो या उच्च प्रस्थित के द्वारा किया गया दबाव, आज भी भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब मजदूर परिवार को अत्यधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अब प्रश्न यह आता है कि इन प्रवासी श्रमिकों के लिए क्या कर रही सरकार? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने राज्य सरकारों से अह्वान किया कि वे राज्यों में श्रमिक भाई बहनों का ख्याल रखे। इसके अलावा अगले दिन ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने भी एक लाख सत्तर हज़ार करोड़ रुपये की package की घोषणा की। इस प्रकार से भारत सरकार ने covid 19 को चुनौती देने में सक्षम हुई और प्रवासियों को भी इस महामारी से लड़ने की सलाह दी।
Conference
4th International E-Conference “Migration, Governance, and Covid-19: Perspectives, Policies, Opportunities, and Challenges”