Hindi- Women Issues in Diaspora Literature
Author Name
Varsha Chaudhary
Author Address
M G H U Wardha
Keywords
Women, Diaspora Literature, Indian Diaspora
Abstract
मनुष्य का किसी एक भौगोलिक क्षेत्र से दूसरे भौगोलिक क्षेत्र में सापेक्षत: स्थायी या अस्थायी गमन की प्रक्रिया जिससे सामान्य निवास बदल जाता है, प्रवास कहलाता है। मुख्यतः प्रवास अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। प्रवास की घटना मानव के बढ़ते विकास चरण के साथ जुड़ी है। आज प्रवास का मकसद वैसा नहीं है, जैसा 19 वीं सदी के आखिरी दिनों से लेकर आज़ादी के कुछ बरसों बाद तक रहा है। पहले का प्रवासन अभाव और मजबूरियों के कारण किया जाता था और आज प्रवास अपनी इच्छा से तथा आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता है।
भारतीय मूल के लोग समस्त विश्व में फैले हुए हैं। उन्होंने विदेशों को अपनी कर्मभूमि बनाया है। विदेशों में रहते हुए अपनी अस्मिता को जीवित रखने के लिए उन्होंने सृजनात्मक लेखन किया है। भारतीय मूल के विदेशों में रहने वालों के सृजनात्मक लेखन को प्रवासी साहित्य कहा जाता है और जिन्होंने ‘हिंदी’ को केंद्र में रख कर साहित्य रचना की हैं, वे प्रवासी हिंदी साहित्यकार हैं। प्रवासी हिंदी साहित्य के अंतर्गत कविताएँ, उपन्यास, कहानियाँ, नाटक, एकांकी, महाकाव्य, खंडकाव्य, अनूदित साहित्य, यात्रा वर्णन, आत्मकथा आदि का सृजन हुआ है। इन साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं द्वारा नीति – मूल्य, मिथक, इतिहास, सभ्यता के माध्यम से ‘भारतीयता’ को सुरक्षित रखा है।
प्रवासी साहित्कारों में महिला साहित्यकारों की भागीदारी पुरुष साहित्कारों से अधिक है। भारत में महिला लेखन अभी चौखट पार कर रहा है, किन्तु प्रवास में महिला लेखन भूमंडल में टहल रहा है। प्रवासी कथाओं में नारी के तीन रूप उभर कर सामने आये हैं। पहला, पाश्चात्य परिवेश में इस प्रकार ढल जाना कि नारी का विकृत रूप पाठकों के सामने आ जाता है। दूसरा, प्रवासी नारी भारतीय एवं पाश्चात्य परिवेश में सामंजस्य बनाकर आगे बढ़ने का प्रयास करती है। तीसरा, स्त्री या तो निराशाजन्य स्थिति में अवसादग्रस्त हो गयी है या विद्रोहिणी बन गयी हैं।
प्रवासी साहित्य में सुषम बेदी, सुदर्शन प्रिदर्शिनी, सुधा ओम ढींगरा, दीपिका जोशी, अनीता शर्मा, सुचिता भट्ट, जकिया ज़ुबेरी, दिव्या माथुर, शैलजा सक्सेना आदि प्रमुख महिला साहित्यकार हैं, जिनके साहित्य में स्त्री समस्याएं उभरकर सामने आती हैं। परिवेश भिन्न होने के कारण चाहे समस्या बदल जाती हैं, परन्तु समस्याओं के मूल में वही कारण रहते हैं।
प्रस्तुत लेख में प्रवासी साहित्य में स्त्री समस्याओं को उदघाटित किया जाएगा।
Conference
International Conference on "Global Migration: Rethinking Skills, Knowledge and Culture"